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शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

स्वयं सहायता क्यों

                                                                  स्वयं सहायता क्यों 
पिछले आठ वर्ष   में  टीसा  से  ज्यादातर  लोगों  ने  बताया  कि  स्पीच  थैरेपी  से  उन्हें  सिर्फ  कुछ  दिनों  या  हफ़्तो  का  लाभ  मिला  कुछ  समय  बाद  उनका  हकलाना  फिर  से  लौट  आया    इससे  हमें  दो  बातें  समझ  में  आती  हैं ; एक -जैसे  मलेरिया  या  बोकाइटिस  का  क्योर  [इलाज] सम्भव  है , वैसा  स्टेमरिंग  में  नही       दूसरी  बात -हकलाने  में  काफी  लम्बे  समय  तक  मदद  की  जरूरत  पड़ती  है  और  इसी  लिय  जरूरत  है  कि  हम  अपने  स्पीच   खुद  बनें    दूसरा  कब  तक  हमारी  मदद  करेगा  और  करे  भी  तो  लम्बे  समय  तक  उसकी  .फीस  कितने  दे पायंगे  यानी  अगर  आप  अगले  एक  साल  तक, बाइक  पर  भारत  भमण  की  योजना  बना  रहे  है  तो  स्पार्क  प्लग  साफ़  करना  भी  सीख  ले  और  पंचर  लगाना  भी' क्योंकि  तभी  तो  सफ़र  का  मज़ा  आएगा।    
यहाँ  एक  अहम  सवाल  यह  है  कि  क्या  आप  अपनी  मदद  खुद  कर  सकते  है टीसा  का  अनुभव  यह  है  कि  ज्यादातर  हकलाने  वाले, भारत  में  अपने  ही  प्यासों  से ,ठीक  हुए  है।  अधिकतर  तो  कभी  किसी  थेरेपिस्ट  के  पास  गए  नही।   थोड़े  से  जो  गए , ही  महीनो  में  सिखाई  गई  तकनीक  का  प्रयोग  बंद  कर  चुके  थे  और  अपने  स्तर  पर हाथ -पांव  मार  रहे  थे  या  कुछ  नया  तलाश  रहे  थे। इनमें  से  ज्यादातर  थैरेपी  की  असफलता  के  लिए  खुद  को  ही  जिम्मेदार  मान  कर  अंदर  निराश  हो  चुके  थे; फलां  व्यकित  तो  क्योर  हो  गया  मगर  में  क्यों  नही।  शायद  मैने  मेहनत  नही  की; शायद  में  अभागा  हूँ  आदि।        
कम  ही  थेरेपिस्ट  इस  मुददे  को  खुल  कर  समझाते  है  कि हकलाने  की  असली  वजह  कोई  नहीं  जानता  और  इस  लिए  क्योर  भी  किसी  के  पास  नहीं  हे, और  जिसे  लोग  क्योर  समझ  रहे  हैं  वह  सिर्फ  कंट्राल  या मैनेजमेंट  है  -या  सिर्फ  बहुत  ही  बिरलों  में स्पॉनटेनियस  रिकवरी  [जड़  से  ठीक  ];    जिसे  न  तो  कोई  समझता  है  और  न  ही  किसी  दूसरे  को  दे  सकता  है।     जैसे  कभी  -कभी   कैंसर  के  ऐसे  रोगी  जिन्हें  डॉक्टर  जवाब  दे  चुके  हैं, अपने  आप  ही ठीक  होने  लगते  हैं   -  क्यों   कोई  नहीं   जानता।  मगर  ऐसे   मामले  बेहद  कम  हैं।        





































 

गुरुवार, 10 नवंबर 2016

मंगलवार, 6 सितंबर 2016

हकलाहट बनाम नई भाषा सीखना

                         हकलाहट बनाम नई भाषा सीखना

1. जिस प्रकार हम अंग्रेजी या कोई नई भाषा बोलना सीखते समय ढेरों गलतियां करते हैं, उसी तरह हकलाहट पर कार्य करते समय भी गलतियां होना, बार-बार हकलाना स्वाभाविक है। आप अपने घर में कमरे के अन्दर बैठकर धाराप्रवाह बोलना नहीं सीख सकते हैं। आपको बाहर निकलना होगा बार-बार हकलाने के लिए, बार-बार गलतियां करने के लिए।
2.
नई भाषा हम तभी सीख सकते हैं जब अपने दैनिक जीवन में, कार्यालय में, कॉलेज में और परिवार में बार-बार उसका इस्तेमाल करें। ठीक इसी तरह जब आप कलाहट पर काम करना शुरू करेंगे तो सभी जगह हकलाहट के बारे में खुलकर बातचीत करना, स्पीच तकनीक का अभ्यास करना, स्वैच्छिक हकलाहट यानी जान-बूझकर हकलाना आदि का प्रयोग करना जरूरी है। 
3. अंग्रेजी या कोई नई भाषा सीखने के लिए बार-बार गलत बोलना, गलत उच्चारण करना एक सामान्य और स्वाभाविक प्रक्रिया है। ऐसे ही हकलाहट पर काम करते समय कई बार हकलाना, विपरीत हालातों का सामना करना सीखना एक सामान्य बातचीत का ही हिस्सा है।
4. नई भाषा सीखते समय जब आप किसी शब्द को गलत बोलते है, तो उसका सही अर्थ जानना और सही उच्चारण करने की कोषिष करते हैं। इसी तरह जब आप किसी शब्द पर हकलाते हैं, तो बार-बार उस शब्द का सही उच्चारण करने की कोषिष करते हैं, कोई स्पीच तकनीक का प्रयोग कर उच्चारण करते हैं।
5. नई भाषा सीख सीखने के दौरान जब हम एक-दो शब्द या वाक्य सही बोलते हैं, तो अन्दर से बड़ा सुकून मिलता है, आनन्द आता है। उसी तरह हकलाहट पर वर्क करते समय जब आप किसी शब्द या वाक्य को सही तरीके से बोल पाएं तो उसकी खुषी मनानी चाहिए, सुख का अहसास होना चाहिए।
6. अंग्रेजी या नई भाषा के प्रति झिझक खत्म करने के लिए हमेषा अनजान लोगों से बातचीत करने की सलाह दी जाती है। ठीक यही बात हकलाहट पर भी लागू होती है। हकलाहट के डर से आजाद होने के लिए अनजान लोगों से लगातार बातचीत करने
6. अंग्रेजी या नई से बातचीत करने की सलाह दी जाती है। ठीक यही बात हकलाहट पर भी लागू होती है। हकलाहट के डर से आजाद होने के लिए अनजान लोगों से लगातार बातचीत करने की कोषिष करते रहना आवष्यक है। तभी आप हकलाहट के डर से आजाद हो पाएंगे।
7. नई भाषा में प्रभावी संचार के लिए अपने चेहरे के हाव-भाव, आई कान्टेक्ट, हाथेलियां और पैर के सही भाषा के प्रति झिझक खत्म करने के लिए हमेषा अनजान लोगों संचालन पर ध्यान देने की बात कही जाती है, यही सब बातें हकलाहट पर भी लागू होती हैं। एक बेहतर संचार के लिए इन सभी बातों पर गहराई से ध्यान देना सभी के लिए जरूरी है। 
8. नई भाषा आप अपने जीवन में विकास के लिए, सफलता अर्जित करने के लिए, ज्ञान प्राप्त करने के लिए, अधिक से अधिक लोगों बातचीत करने के लिए सीखते हैं। ठीक इसी तरह हकलाहट पर वर्क आप इसीलिए करते हैं, ताकि एक कुषल संचारकर्ता बन सकें। 
पते की बात : आप यह सोचना छोड़ की हकलाने पर लोग क्या कहेंगे? महत्वपूर्ण बात तो यह है की खुद के प्रति समर्पित होकर हकलाहट के लिए वर्क करना कब शुरू करेंगे? कब तक इंतजार करते रहेंगे? कब तक तारीख पर तारीख आती रहेगी और आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे? सच तो यह है कि हकलाहट पर कार्य करने के लिए किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं है, आप तुरंत षुरू कर दें, मुष्किलों का सामना करें और आगे बढ़ें।------ more