Acceptance के फायदे
1 . जब आप किसी से कहते हैं कि मैं हकलाता हूँ। तो आपका मन हकता है। अब मैं क्यों छुपाऊ !अब तो इसे पता चल ही गया है ,कि मैं हकलाता हूँ।
2 . जब कभी आप दूसरी बार उस व्यवित से मिलते है। जिसके सामने आपने कहा था कि मैं हकलाता हूँ। तब आपका मन कहेगा पिछली बार मैं इनसे कहा थाकि मैं हकलाता हूँ। इन्हे अवश्य याद होगा अब मैं क्या छुपाऊ। चाहें वे भूल ही क्यों न गये हों।
3 . हमारे शरीर में कार्य करने की बहुत सारी एनर्जी होती है और हम शब्दों को बदलने ,शब्द को आगे पीछे करने छुपाने में खर्च कर देते हैं और अन्य कार्यो में पीछे रह जाते हैं। स्वीकार्य करने से आपकी इनर्जी बेकार खर्च नहीं होती हैं। और आप हर काम में सफल होने के लिए तैयार रहते हैं।
4 . स्वीकार्य करने के बाद टेन्शन कोध हीन भावना के लिए तैयार रहता है।
1 . जब आप किसी से कहते हैं कि मैं हकलाता हूँ। तो आपका मन हकता है। अब मैं क्यों छुपाऊ !अब तो इसे पता चल ही गया है ,कि मैं हकलाता हूँ।
2 . जब कभी आप दूसरी बार उस व्यवित से मिलते है। जिसके सामने आपने कहा था कि मैं हकलाता हूँ। तब आपका मन कहेगा पिछली बार मैं इनसे कहा थाकि मैं हकलाता हूँ। इन्हे अवश्य याद होगा अब मैं क्या छुपाऊ। चाहें वे भूल ही क्यों न गये हों।
3 . हमारे शरीर में कार्य करने की बहुत सारी एनर्जी होती है और हम शब्दों को बदलने ,शब्द को आगे पीछे करने छुपाने में खर्च कर देते हैं और अन्य कार्यो में पीछे रह जाते हैं। स्वीकार्य करने से आपकी इनर्जी बेकार खर्च नहीं होती हैं। और आप हर काम में सफल होने के लिए तैयार रहते हैं।
4 . स्वीकार्य करने के बाद टेन्शन कोध हीन भावना के लिए तैयार रहता है।
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