हाँ मै कई बार हकलाने वालों से सना हूँ कि सर यदि मैं नहीं हकलाता तो मै इंजीनियर बनता ,टीचर बनता ,नेता बनता या अन्य क्षेत्र में बहुत आगे होता। यह हकलाहट हमारे लिये बाधक हैं। मैं बहुत सारे असफल लोगों से मिला हूँ जैसे आप अपनी असफलता का कारण हकलाहट को मानते हैं ,ठीक उसीप्रकार बहुत से असफल सामान्य व्यवित अपनी असफलता का कारण गरीबी ,सही गाइड लाइन न मिलना ,पिता शराबी होना ,माँ की बचपन में मृत्यु हो जाना ,बचपन में पिता की मृत्यु हो जाना ,सही स्कूल में न पढ़ना ,सही टीचर का न पढ़ना स्कूल गांव से दूर होना ,लड़की होना ,सही लड़की से विवाह न होना आदि मानते हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं जो लोग मेहनत करते है ,वह इन समस्याओं के होते हुये भी बहुत आगे बढ़ते हैं। इन समस्याओं को झेलते हुये जो व्यवित आगे बढ़ सकता है वही सफल व्यवित होता है तो आप भी हकलाहट होते हुये भी बहुत आगे बढ़ सकते सकते है। बस आवश्यकता हैं उठ कर खडे होने की ,हकलाहट के प्रति नजरिया बदलने की। हकलाहट से दोस्ती करने की। किसी व्यवित के पिता की मृत्यु हो गई तो उसके पास दो रास्ते हैं। पहला वह जीवन रोता रहे कि मेरे पिता होते तो मै ऐसा कर लेता ,वैसा कर लेता और दूसरा रास्ता यह हैं कि पिता तो चले गये उन्हें भूलो और योजनाबध्द तरीके से जीवन में काम करो। आप पायेंगे कि आप बहुत आगे पहुँच जायेंगे। पिता अब भगवान के पास से देखकर खुश होंगे ,आप पर नाज करेंगे कि मेरे न रहते हुये भी मेरा बेटा बहुत आगे जा रहा हैं और यदि पिता की याद कर -कर के आप आगे नही बढ़ेगे तो पिता की आत्मा को भी तकलीफ होगी की मै अपने बेटे के लिये सब कुछ छेड़ कर आया लेकिन यह वेवकूफ कुछ नही किया समस्या का खोजों ,समस्या निमिर्त मत करो।उसीप्रकार आप भी सीख सकते हैं। चूंकि यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमे मेडिसीन कम लगती है ,इसमे आत्मविश्वास ,मेहनत लगन Acceptance एवं साइकोलॉजिकली मेथड की आवश्यकता होती हैं। हकलाने वाला व्यवित लम्बे समय से पीड़ित होता हैं। हरतरफ से हताश हो जाता है। इसीलिये उसको यह विश्वास नही होता है कि मैं ठीक हो जाउंगा। click here
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