ग्यारहवाँ
नियम
जब आप धारा प्रवाह में बोलते हैं तो उस पर भी ध्यान दें ; - इस नियम में बताया गया हैं,कि जब आप धारा प्रवाह में बोलते है। उस समय अपनी अवस्था और शरीर की गतिविधियों पर ध्यान दें मन में उन क्षणों को हमेशा ध्यान रखें जब अपने अच्छा और धारा प्रवाह में बोलते हों इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। अपने आपको हमेशा यह याद दिलाते रहें,कि आप में धारा प्रवाह बोलने की योग्यता है। 4. जब आप अपने आप से, घर में छोटे बच्चों से बिना झिझक शर्म संकेज आत्मग्लानि के यह कहने मे सक्षम हो जाये कि मैं मैं मैं ह ह ह हकलाता हूँ। तब आप अपने अच्छे मित्रों से भी कहना प्रारंभ कीजिए। और बीच-बीच में Voluntary stammering करते रहें। जैसे -मे मेरा नाम सू सू सूरज है। आ आपका ना नाम क्या क्या है। यह आपको थोड़ा मुशिकल और निगेटिव फिल हो सकता है। लेकिन करते रहें अवश्य जीत आपकी होगी।
जब आप धारा प्रवाह में बोलते हैं तो उस पर भी ध्यान दें ; - इस नियम में बताया गया हैं,कि जब आप धारा प्रवाह में बोलते है। उस समय अपनी अवस्था और शरीर की गतिविधियों पर ध्यान दें मन में उन क्षणों को हमेशा ध्यान रखें जब अपने अच्छा और धारा प्रवाह में बोलते हों इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। अपने आपको हमेशा यह याद दिलाते रहें,कि आप में धारा प्रवाह बोलने की योग्यता है। 4. जब आप अपने आप से, घर में छोटे बच्चों से बिना झिझक शर्म संकेज आत्मग्लानि के यह कहने मे सक्षम हो जाये कि मैं मैं मैं ह ह ह हकलाता हूँ। तब आप अपने अच्छे मित्रों से भी कहना प्रारंभ कीजिए। और बीच-बीच में Voluntary stammering करते रहें। जैसे -मे मेरा नाम सू सू सूरज है। आ आपका ना नाम क्या क्या है। यह आपको थोड़ा मुशिकल और निगेटिव फिल हो सकता है। लेकिन करते रहें अवश्य जीत आपकी होगी।
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