अपनी सहायता आप स्वयं कैसे?;
1. स्वयं उपचार या सहायता हकलाने के संबन्ध में है। और यह हकलाने वालों के लिए है।
2 . यदि आपके पास पर्याप्त चिकित्सीय सहायता उपलब्ध नहीं है और आप हकलाते है। तो आपको अपनी सहायता खुद ही करनी पड़ेगी और वह भी अपने विचारों और साधनों का उपयोग करते हुए। 3 . पहली चीज आपको यह स्वीकार करनी होती हैं, कि आपका समर्पण पूर्णरूप से होना चाहिए किसी जादू की आशा में कभी न रहें। इस संसार में ऐसी कोई जादुई दवा नहीं हैं ,जो कि हकलाहट को पूरी तरह से आपके जीवन से खत्म कर दें। 4 . खाली मत बैठो, उठो और नये उपायों की तलाश करो या अपनाओ जो आपने आज तक नहीं किया है।
5 . किसी भी उपचार के लिए यह आवश्यक हैं कि हकलाहट से पीड़ित व्यवित पूरी तरह से दृढ़ संकल्प लें और फिर प्रयत्न करें। 6 . यह किताब उन लोगो के लिए लिखी गयी है। जो हकलाते है और हकलाहट से बहुत परेशान है।
7 . आप को हकलाहट की. अपेक्षा बोलने का एक आसान तरीका सीख सकते है जो आपको जरा सा भी तनाव नहीं देगा। 8 . यह किताब एक तर्क संगत व्यवहारिक कार्यकम के बारे में हमें बताती हैं, जो कि कई विश्वविहालयो एवं चिकित्सा केन्दों के शोध का परिणाम है। 9 . स्वयं चिकित्सा उन लोगों के लिए आवश्यक है। सर्वप्रथम हमें यह मान लेना चाहिए कि ;-। हमारे बोलने की मशीन में कोई गड़बड़ी नहीं है। क्योंकि जब हम किसी अनुकूल वातारण में बोलते हैं, तो हम नहीं हकलाते हैं
10 . और आपके इस सिथ्ति में सिथ्ति में नही हैं, कि आप को ई विशेषज्ञ से कोई सहायता पा सकें। 11 . कई संस्थाओं का यह मानना हैं, कि स्पीच चिकित्सा अधिक से अधिक उस व्यवित पर निर्भर करती हैं ,जो हकलाता है। 12 . उपचार की सहायता या असफलता प्रोत्साहन से कहीं ज्यादा आपके वादे या दृढ़ संकल्प पर निर्भर करती है।
13 . एक बात जानना जरूरी है,कि यह किताब किसी सफलता या पूर्ण रूप से इलाज का वादा नहीं करती है। 14 . लेकिन यह कहा जा सकता है, कि यदि हम इस किताब से दिये गए सुझाओं को माने तो हम अपने हकलाहटपन को कम कर उस पर काबू पा सकते है। 15 . परन्तु सबसे महत्वपूर्ण यह है, कि हमें किसी भी सुझाव का इस्तेमाल जरूर कर लेना चाहिए। 16 . यह बात मैं जरूर बताना चाहूँगा कि कई लोगों के बीच हकलाहट में कई अंतर है -यह निम्न लिखित बातों पर निर्भर करता है - परिसिथतियों के अनुसार यह बदलती रहती है। 17 . ज्यादातर हकलाने वाले सबसे अधिक कठिनाई तब महसूस करते हैं जब उन्हें शर्मिन्दगी या किसी समस्या के आ जाने के बारे में सोचते है। ----जब कोई हमसे सवाल पूछता है ---इन्टव्यू में ---अपना परिचय देने में ----फोन पर बात करते समय --- भीड़ में बात करते समय 18 . हमें निम्नलिखित परिसिथतियों में कोई कठिनाई नहीं होती है ; --- खुद से बात करते समय --- किसी बच्चे से बात करते समय --- किसी पालतू जानवर से बात करते समय 19 . कोई दो हकलाने वाले व्यवित एक ही तरह से नहीं हकलाते हैं। ---ज्यादातर हकलाने वाले लोग गाना गाते समय, चिल्लाते समय या एक संगठन में पढ़ते समय नहीं हकलाते हैं। यह इनकी विशेष योग्यता होती है। हकलाहट का मूल कारण ; - हकलाहट के कई कारण हो सकते है। 1 . बोलने वाली कोशिकाओं का बोलते वक्त आपस में तालमेल न होना। 2 . वंशानुगत कारणों से भी हो सकता है। तो जो भी कारण रहे हों अब हम उन सबको भूल के आगे की ओर देखना चाहिए। और हकलाहट को अपने नियंत्रण में करने का अधिक से अधिक प्रयत्न में करने का अधिक से अधिक प्रयत्न करना चाहिए।
1. स्वयं उपचार या सहायता हकलाने के संबन्ध में है। और यह हकलाने वालों के लिए है।
2 . यदि आपके पास पर्याप्त चिकित्सीय सहायता उपलब्ध नहीं है और आप हकलाते है। तो आपको अपनी सहायता खुद ही करनी पड़ेगी और वह भी अपने विचारों और साधनों का उपयोग करते हुए। 3 . पहली चीज आपको यह स्वीकार करनी होती हैं, कि आपका समर्पण पूर्णरूप से होना चाहिए किसी जादू की आशा में कभी न रहें। इस संसार में ऐसी कोई जादुई दवा नहीं हैं ,जो कि हकलाहट को पूरी तरह से आपके जीवन से खत्म कर दें। 4 . खाली मत बैठो, उठो और नये उपायों की तलाश करो या अपनाओ जो आपने आज तक नहीं किया है।
5 . किसी भी उपचार के लिए यह आवश्यक हैं कि हकलाहट से पीड़ित व्यवित पूरी तरह से दृढ़ संकल्प लें और फिर प्रयत्न करें। 6 . यह किताब उन लोगो के लिए लिखी गयी है। जो हकलाते है और हकलाहट से बहुत परेशान है।
7 . आप को हकलाहट की. अपेक्षा बोलने का एक आसान तरीका सीख सकते है जो आपको जरा सा भी तनाव नहीं देगा। 8 . यह किताब एक तर्क संगत व्यवहारिक कार्यकम के बारे में हमें बताती हैं, जो कि कई विश्वविहालयो एवं चिकित्सा केन्दों के शोध का परिणाम है। 9 . स्वयं चिकित्सा उन लोगों के लिए आवश्यक है। सर्वप्रथम हमें यह मान लेना चाहिए कि ;-। हमारे बोलने की मशीन में कोई गड़बड़ी नहीं है। क्योंकि जब हम किसी अनुकूल वातारण में बोलते हैं, तो हम नहीं हकलाते हैं
10 . और आपके इस सिथ्ति में सिथ्ति में नही हैं, कि आप को ई विशेषज्ञ से कोई सहायता पा सकें। 11 . कई संस्थाओं का यह मानना हैं, कि स्पीच चिकित्सा अधिक से अधिक उस व्यवित पर निर्भर करती हैं ,जो हकलाता है। 12 . उपचार की सहायता या असफलता प्रोत्साहन से कहीं ज्यादा आपके वादे या दृढ़ संकल्प पर निर्भर करती है।
13 . एक बात जानना जरूरी है,कि यह किताब किसी सफलता या पूर्ण रूप से इलाज का वादा नहीं करती है। 14 . लेकिन यह कहा जा सकता है, कि यदि हम इस किताब से दिये गए सुझाओं को माने तो हम अपने हकलाहटपन को कम कर उस पर काबू पा सकते है। 15 . परन्तु सबसे महत्वपूर्ण यह है, कि हमें किसी भी सुझाव का इस्तेमाल जरूर कर लेना चाहिए। 16 . यह बात मैं जरूर बताना चाहूँगा कि कई लोगों के बीच हकलाहट में कई अंतर है -यह निम्न लिखित बातों पर निर्भर करता है - परिसिथतियों के अनुसार यह बदलती रहती है। 17 . ज्यादातर हकलाने वाले सबसे अधिक कठिनाई तब महसूस करते हैं जब उन्हें शर्मिन्दगी या किसी समस्या के आ जाने के बारे में सोचते है। ----जब कोई हमसे सवाल पूछता है ---इन्टव्यू में ---अपना परिचय देने में ----फोन पर बात करते समय --- भीड़ में बात करते समय 18 . हमें निम्नलिखित परिसिथतियों में कोई कठिनाई नहीं होती है ; --- खुद से बात करते समय --- किसी बच्चे से बात करते समय --- किसी पालतू जानवर से बात करते समय 19 . कोई दो हकलाने वाले व्यवित एक ही तरह से नहीं हकलाते हैं। ---ज्यादातर हकलाने वाले लोग गाना गाते समय, चिल्लाते समय या एक संगठन में पढ़ते समय नहीं हकलाते हैं। यह इनकी विशेष योग्यता होती है। हकलाहट का मूल कारण ; - हकलाहट के कई कारण हो सकते है। 1 . बोलने वाली कोशिकाओं का बोलते वक्त आपस में तालमेल न होना। 2 . वंशानुगत कारणों से भी हो सकता है। तो जो भी कारण रहे हों अब हम उन सबको भूल के आगे की ओर देखना चाहिए। और हकलाहट को अपने नियंत्रण में करने का अधिक से अधिक प्रयत्न में करने का अधिक से अधिक प्रयत्न करना चाहिए।
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